नई दिल्ली – आज धूमधाम के साथ विश्वकर्मा जयंती मनाई जा रही है। विश्वकर्मा जी को सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी का सातवां पुत्र माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा सृजन के देवता है। मान्यता है कि संपूर्ण सृष्टि पर जीवन के संचालन के लिए जो भी चीजें सृजनात्मक हैं, वह भगवान विश्वकर्मा की देन है। अगर उन्हें दुनिया का पहले शिल्पकार, वास्तुकार या इंजीनियर कहें तो गलत नहीं होगा। इस कारण प्रतिवर्ष विश्वकर्मा जयंती के मौके पर औजारों या सामान की पूजा होती है।
भगवान विश्वकर्मा में धरती पर सभी कुछ चीजों का सृजन किया, लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर है, जिसे उन्होंने खुद से निर्मित किया था। इस मंदिर की अभूतपूर्व स्थापत्य कला, शिल्प और कलात्मक भव्यता को देखने के लिए दूर दराज से लोग आते हैं। आइए जानते हैं भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित मंदिर के अप्रतिम सौंदर्य और यहां स्थापित देव के बारे में, साथ ही जानिए कहां और कैसे करें भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित मंदिर के दर्शन।
बिहार में हैं भगवान विश्वकर्मा द्वारा निर्मित मंदिर
बिहार राज्य के औरंगाबाद जिले में प्राचीन और विशाल मंदिर है, जिसका निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने अपने हाथों से एक रात में किया था। यहां भगवान सूर्य विराजमान हैं। औरंगाबाद का यह अनोखा सूर्य मंदिर कई कारणों से खास है।
औरंगाबाद के सूर्य मंदिर की खासियत
यह देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है, जिसका द्वार पश्चिम दिशा की ओर खुलता है। इसके अलावा देश के सभी सूर्य मंदिर पूर्वाभिमुख हैं, लेकिन औरंगाबाद का सूर्य मंदिर पश्चिमाभिमुख है। मंदिर में सूर्य देवता की मूर्ति सात रथों पर सवार है। इसमें से उनके तीन रूपों का वर्णन किया गया है। पहला, उदयाचल- प्रात: सूर्य, दूसरा मध्याचल- मध्य सूर्य, और तीसरा अस्ताचल- अस्त सूर्य।
मंदिर करीब सौ फीट ऊंचा है, जहां स्थापत्य और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण देखने को मिलता है। बिना सीमेंट अथवा चूना-गारा के मंदिर का निर्माण आयताकार, वर्गाकार, गोलाकार, त्रिभुजाकार आदि रूपों में काटे गए पत्थरों को जोड़कर हुआ है। मंदिर काले और भूरे रंग के पत्थरों से बना है। औरंगाबाद का सूर्य मंदिर ओडिशा में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर से मेल खाता है। मंदिर के बाहर लगे शिलालेख में ब्राह्मी लिपि में एक श्लोक लिखा है, जिसके मुताबिक, मंदिर का निर्माण 12 लाख 16 वर्ष पहले त्रेता युग में हुआ था।
कैसे पहुंचें औरंगाबाद के सूर्य मंदिर
बिहार के औरंगाबाद जिले में स्थित इस मंदिर तक पहुंचना आसान है। मंदिर औरंगाबाद से करीब 18 किलोमीटर दूर है। हवाई मार्ग से जाना चाहते हैं तो औरंगाबाद से निकटतम हवाई अड्डा पटना है, जहां से 180 किमी मंदिर की दूरी है। टेन से निकटतम रेलवे स्टेशन औरंगाबाद है, जहां से मंदिर की दूरी कुछ ही किमी है, आप परिवहन सेवा की बस, टैक्सी से मंदिर आसानी से पहुंच सकते हैं।