हरतालिका तीज सालभर में पड़ने वाली सभी तीन तीजों में सबसे खास और कठिन होती है. इस दौरान सुहागिनें 24 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं. लेकिन इसकी वजह क्या है, आइए जानते हैं.
सनातन धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. साल में रखे जाने वाले तीज के तीन व्रतों में से सबसे कठिन यही व्रत माना जाता है. इस दिन सुहागिनें अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाने के लिए 24 घंटे निर्जला व्रत रखती है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है. विधि विधान से भगवान शिव पार्वती की पूजा करने से वैवाहिक जीवन खुशहाल होता है और पति को लंबी आयु और स्वस्थ्य जीवन प्राप्त होता है.
हरतालिका तीज को लेकर इस साल काफी कन्फ्यूजन थी क्योंकि भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि आज यानी 17 सितंबर से शुरू हो रही है और 18 सितंबर तक रहेगी. ऐसे में लोगों के मन में यही सवाल था कि व्रत किस दिन रखा जाएगा. तीज त्योहारों में उदयातिथि की मान्यता ज्यादा होती है, ऐसे में हरतालिका तीज का व्रत 18 सितंबर को ही रखा जाएगा.
हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज पति पत्नी के सुखी वैवाहिक जीवन के बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए सबसे पहले हरतालिका तीज का व्रत रखा था. हरतालिका दो शब्दों को मिलाकर बना है. हर और आलिका. हर मतलब होता है हरण करना और तालिका का अर्थ सहेली.
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक माता पार्वती के पिता उनका विवाह भगवान विष्णु से कराना चाहते थे लेकिन वह भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं. ऐसे में उनकी सहेलियां उनका हरण एक गुफा में ले गईं, जहां उन्हें भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की. भगवान शिव माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया. माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अन्न, जल हर चीज का त्याग कर दिया था. इसलिए हरतालिका तीज पर निर्जल व्रत रखने की परंपरा है.
कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं व्रत
हरतालिका तीज का व्रत सुहागिनों के साथ-साथ कुंवारी लड़कियां भी रखती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत कर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से विशेष आशीर्वाद मिलता है और मनचाहा वर प्राप्त होता है.