नई दिल्ली – राज्यसभा में दिल्ली सेवा विधेयक पर चर्चा जारी है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को दिल्ली सेवा विधेयक 2023 को सोमवार को राज्यसभा में पेश किया। इससे पहले यह बिल लोकसभा से गुरूवार को पास हो चुका है। लोकसभा में ध्वनिमत के आधार पर लोकसभा से बिल को मंजूरी मिल चुकी है। माना जा रहा कि शाम तक चर्चा के बाद राज्यसभा में बिल पर वोटिंग हो सकती है। दिल्ली में अधिकारों की जंग वाले इस बिल पर आम आदमी पार्टी को 26 विपक्षी पार्टियों I.N.D.I.A गठबंधन का समर्थन है। इसके अलावा तेलंगाना की सत्ताधारी BRS ने भी अपने सांसदो का बिल का विरोध करने के लिए कहा है। उधर, बसपा इस बिल पर बायकॉट करेगी। जबकि बीजेडी, वाईएसआर और टीडीपी जैसे गैर NDA दलों ने भी मोदी सरकार को बिल पर समर्थन देने का ऐलान किया है।
इस बीच आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि यह विधेयक एक राजनैतिक धोखा है, यह संवैधानिक पाप है और यह दिल्ली में प्रशासनिक गतिरोध पैदा करने के लिए है।दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार है और पार्टी इस विधेयक का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि 40 साल से भाजपा दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग करती रही है। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए भाजपा ने 1989 से खुद लंबा संघर्ष किया है। 1991 में कांग्रेस की सरकार बनने पर भाजपा के नेताओं ने कहा था कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए वे आंदोलन करेंगे।” उन्होंने कहा ‘‘हर बार भाजपा के घोषणापत्र में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात कही गई। वाजपेयी सरकार के कार्यकाल में 2003 में तत्कालीन उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने इस सदन में संविधान संशोधन विधेयक 2003 पेश किया जिसमें दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने का प्रावधान था।”
चड्ढा ने सायराना अंदाज में साधा निशाना
चड्ढा ने कहा कि यह विधेयक संविधान और लोकतंत्र का ही अपमान नहीं है बल्कि यह लालकृष्ण आडवाणी, अटल बिहारी वाजपेयी, मदन लाल खुराना, अरुण जेटली और सुषमा स्वराज का भी अपमान है जिन्होंने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए संघर्ष किया। ‘‘यह विधेयक उनके संघर्ष को मिट्टी में मिलाता है।” उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने दूसरे सदन में कहा था कि पंडित जवाहरलाल नेहरू दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के पक्ष में नहीं थे। आप सदस्य ने कहा ‘‘आप नेहरूवादी मत बनिये, आप आडवाणीवादी, वाजपेयीवादी बनिये और दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दीजिये।” उन्होंने कहा ‘‘पिछले 25 साल में दिल्ली में छह विधानसभा चुनाव हुए और भाजपा बुरी तरह हारी। पिछले दो चुनाव में आम आदमी पार्टी चुनाव जीती। भाजपा को आने वाले चुनाव में भी वही स्थिति साफ नजर आ रही है। इसीलिए भाजपा सरकार यह विधेयक ले कर आई है।”
आप नेता ने कहा कि अध्यादेश आपातकालीन स्थिति में लाए जाते हैं। ‘‘आज ऐसी क्या आपातकालीन स्थिति आ गई जो आप यह अध्यादेश ले कर आए हैं। इस विधेयक के जरिये सरकार ने उच्चतम न्यायालय को, उसकी पांच सदस्यीय पीठ को भी उसका फैसला बदलने की चुनौती दी है।” उन्होंने कहा कि इस अध्यादेश का भी हश्र भूमि अधिग्रहण, ईडी के निदेशक का कार्यकाल बढ़ाने के लिए लाए गए अध्यादेशों की तरह ही होगा। चड्ढा ने शायराना अंदाज में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘अगर खिलाफ हैं तो होने दो, जान थोड़ी हैं, ये सब धुआं है, कोई आसमान थोड़ी है, लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में, यहां पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।