दिल्ली पुलिस ने अपने आरोपपत्र ने बताया है कि रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह के पास विनोद तोमर नाम का शख्स महिला पहलवानों को अकेले भेजता था।
नई दिल्ली – रेसलिंग फेडरेशन के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह के साथ ही विनोद तोमर की भी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। दिल्ली पुलिस ने महिला पहलावनों के यौन उत्पीड़न के मामले में 1500 पन्ने की जो चार्जशीट दाखिल की है, उसमें दावा किया गया है कि विनोद तोमर ने बृजभूषण शरण सिंह की मदद की थी। दायर चार्जशीट में साफ कहा गया है कि विनोद तोमर जानबूझकर यौन उत्पीड़न में बृजभूषण शरण सिंह की मदद कर रहे थे। इसी कारण उन्हें इस केस में सहआरोपी बनाया गया है। बता दें कि 6 महिला पहलवानों में से 2 की शिकायत में विनोद तोमर का नाम भी बृजभूषण शरण सिंह के साथ सहआरोपी के तौर पर है। ऐसे में आइये जानते हैं ये विनोद तोमर कौन है जिसे दिल्ली पुलिस ने यौन शोषण के मामले में सहआरोपी बनाया है।
विनोद तोमर कौन है ?
भारतीय रेसलिंग संघ में सहायक सचिव के पद पर तैनात विनोद तोमर बृजभूषण सिंह के बेहद करीबी बताए जाते हैं और वो बीते दो दशकों से कुश्ती महासंघ का हिस्सा हैं। उन पर आपराधिक साजिश रचने की धारा 506, महिला से यौन उत्पीड़न की धारा 354 A और 354 के तहत केस दर्ज किया गया है। विनोद तोमर की गिनती बृजभूषण के बेहद करीबी लोगों में होती है। माना जाता है कि उनके चलते ही वह कुश्ती महासंघ का हिस्सा थे।
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में क्या कहा गया
दिल्ली पुलिस ने पहलवानों के यौन शोषण के मामले में जो चार्जशीट दाखिल किया है उसमें कहा गया है कि सहायक सचिव विनोद तोमर महिला पहलवानों की बृजभूषण शरण सिंह से उसी वक्त मुलाकात कराते थे, जब वह अकेले हों। ऐसा मामला कुल तीन बार हुए, जब विनोद ने उसी वक्त बृजभूषण से पहलवानों की मुलाकात कराई, जब वह अपने ऑफिस में अकेले थे।
यही नहीं दो मामले तो और भी संगीन है, जब बृजभूषण सिंह से मिलने जा रहीं पहलवानों के पति और कोच को विनोद तोमर ने ऑफिस से बाहर ही रोक लिया। फिर दोनों पहलवानों ने अकेले में हीं बृजभूषण शरण सिंह से मुलाकात की और इसी दिन कथित तौर पर पहलवानों के साथ यौन शोषण भी किया गया। यह पूरा घटनाक्रम दिल्ली के अशोक रोड में हुआ जहां सिंह ने अपना ऑफिस बना रखा है।
महिला पहलवान का आरोप जानिए
एक महिला पहलवान ने अपनी शिकायत में सहायक सचिव विनोद तोमर पर सीधे-सीधे आरोप लगाते हुए कहा है की उन्होंने मुझे अकेले ही बृजभूषण से मिलने जाने को कहा। जबकि उस दिन जब मैं दिल्ली में कुश्ती महासंघ के ऑफिस पहुंची तो मेरे पति भी साथ थे।
लेकिन विनोद तोमर के कारण मुझे ऑफिस में अकेले जाना पड़ा। उन्होंने जानबूझकर मेरे पति को ऑफिस के अंदर जाने से रोका था। उसी दिन बृजभूषण शरण सिंह ने मेरे से छेड़छाड़ की थी। इसके बाद अगले दिन फिर पति को नहीं जाने दिया गया और फिर पहले की तरह ही गलत व्यवहार किया गया।
सिंह के खिलाफ नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के नहीं मिले सबूत
कुश्ती संघ के पूर्व चीफ बृजभूषण शरण सिंह पर पहलवानों ने एक नाबालिग सहित सात महिला पहलवानों को डराने-धमकाने और यौन शोषण का आरोप लगाया था। काफी लंबे समय तक धरना देने के बाद दिल्ली पुलिस ने सिंह के खिलाफ दो मामले दर्ज किये थे, जिनमें एक मामला पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज किया गया है। बाद में जांच के बाद पुलिस को नाबालिग के साथ यौन उत्पीड़न के कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले और शिकायतकर्ता और उसके पिता बयान से भी पलट गए। इसी कारण पुलिस ने कोर्ट से पॉक्सो केस रद्द करने की मांग की थी।
अब तक इस मामले में क्या हुआ
सबसे पहले इसी साल 18 जनवरी को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विनेश फोगाट, साक्षी मलिक के साथ बजरंग पूनिया ने धरना शुरू किया और रेसलिंग फेडरेशन के तत्कालीन चीफ बृजभूषण सिंह पर महिला पहलवानों के यौन शोषण करने का आरोप लगाया।
तीन दिन बाद यानी 21 जनवरी को विवाद बढ़ने के बाद केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पहलवानों से मुलाकात कर एक कमेटी गठित की, लेकिन कमेटी की रिपोर्ट में क्या पता चला ये सार्वजनिक नहीं हुई।
इसके बाद 23 अप्रैल को बड़ी संख्या में पहलवान फिर जंतर-मंतर पर धरने देने बैठ गए और मांग कि की बृजभूषण की गिरफ्तारी तक धरना जारी रहेगा इसके बाद 28 अप्रैल को पहलवानों की याचिका की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली पुलिस ने बृजभूषण पर छेड़छाड़ और पॉक्सो एक्ट में 2 FIRदर्ज की।
फिर 3 मई की रात में पहलवानों और पुलिसकर्मियों के बीच जंतर-मंतर पर खूब झड़प हुई। इस झड़प के दो दिन बाद जंतर-मंतर पर हरियाणा, यूपी, राजस्थान और पंजाब की खापों की महापंचायत हुई। इसमें बृजभूषण की गिरफ्तारी के लिए केंद्र सरकार को 15 दिन की चेतवानी दी गई।
उसके बाद 26 मई को पहलवानों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 28 मई को वे धरना स्थल से नए संसद भवन तक पैदल मार्च करेंगे। फिर 28 मई को पहलवानों ने नए संसद भवन के सामने महापंचायत के लिए जाने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया।
29 मई को पहलवानों ने जीते हुए मेडल को गंगा में बहाने का ऐलान किया। इसके बाद 30 मई को पहलवान हरिद्वार हर की पौड़ी में मेडल बहाने गए। जहां किसान नेता नरेश टिकैत के मनाने पर पहलवान मान गए और मेडल को नहीं बहाया।
इसके बाद दिल्ली पुलिस की जांच में 3 जून को इस मामले में 4 गवाह मिले हैं, जिन्होंने बृजभूषण पर लगे आरोपों की पुष्टि की है। फिर 4 जून को पहलवानों की गृह मंत्री अमित शाह से मीटिंग की। मीटिंग के बाद 5 जून को विनेश, साक्षी और बजरंग ने रेलवे में ड्यूटी जॉइन कर ली।
इस पूरे घटनाक्रम के दो सप्ताह बाद तीनों मुख्य पहलवानों ने ट्विट करके बताया की अब हम आगे की लड़ाई कोर्ट से लड़ेंगे तथा जबतक बृजभूषण की गिरफ्तारी नहीं होगी हम आवाज उठाते रहेंगे।