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AIIMS – कोरोना संक्रमण से फेफड़े क्यों हुए कठोर? शोध से चलेगा पता; लंग्स में बन गए हैं फाइब्रोसिस

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कोरोना महामारी के दौरान गंभीर रूप से बीमार हुए मरीजों के फेफड़ों के उत्तक (टिशू) कठोर हो गए हैं। लंबे इलाज के बाद मरीज तो ठीक हो गए लेकिन कठोर हुआ टिशू फिर से पहले की तरह कोमल नहीं हो पाया।

नई दिल्ली – दरअसल, कोरोना महामारी के दौरान गंभीर रूप से बीमार हुए मरीजों के फेफड़ों के उत्तक (टिशू) कठोर हो गए हैं। लंबे इलाज के बाद मरीज तो ठीक हो गए लेकिन कठोर हुआ टिशू फिर से पहले की तरह कोमल नहीं हो पाया। इन प्रभावितों को अब भी सांस लेने में तकलीफ हो रही है। ऐसे मरीजों के फेफड़ों में फाइब्रोसिस बन गए हैं।

विशेषज्ञ बताते हैं कि जिन मरीजों के फेफड़ों में फाइब्रोसिस बन गए हैं उसे फिर से सामान्य करना संभव नहीं है। ऐसे में अध्ययन के माध्यम से पता लगा जाएगा कि जिन मरीजों में फाइब्रोसिस बनने में कौन से मॉलिक्यूलर जिम्मेदार हैं। वहीं कोरोना से संक्रमित होने के बाद जिन मरीजों के फेफड़े पूरी तरह से ठीक रहे उनमें फाइब्रोसिस से बचने के लिए कौन से मॉलिक्यूलर काम कर रहे थे। 

बन सकता है 20-20 का ग्रुप 
फिजियोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की माने तो इस अध्ययन के लिए 20-20 मरीजों का ग्रुप बन सकता है। एक ग्रुप में 20 मरीजों को रखने के लिए 40 लोगों का चयन करना होगा। ऐसे में मुफ्त जांच के दौरान कुल 80 मरीजों को चुना जा सकता है। इन मरीजों पर अगले तीन साल तक अध्ययन चलने का अनुमान है। अध्ययन के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी। 

बता दें कि कोरोना महामारी के दौरान देशभर में लाखों की संख्या में लोग कोरोना संक्रमित हुए। इनमें काफी मरीज गंभीर अवस्था तक पहुंचे थे जिन्हें आईसीयू या वेंटिलेटर पर भर्ती करना पड़ा था। ऐसे मरीजों में ठीक होने के बाद भी काफी समस्या देखी जा रही है।

क्या होता है फाइब्रोसिस
फाइब्रोसिस फेफड़ों की एक बीमारी है जो टिशु को नुकसान पहुंचाता है। कोरोना से संक्रमित होकर मरीजों के फेफड़ों के टिशु कठोर होने लगे थे, जिससे रोगी को सांस लेने में तकलीफ होने लगी। शरीर में ऑक्सीजन की कमी से हृदय और श्वसन संबंधी समस्याएं हुई। सामान्य फेफड़ों के टिशु कोमल होते हैं जिस कारण श्वास लेने और छोड़ने में आसानी होती है।

दो ग्रुप में बांटे जाएंगे मरीज
एम्स के फिजियोलॉजी विभाग अपने अध्ययन के लिए मरीजों के दो ग्रुप बनाएगा। इसमें एक ग्रुप में वह गंभीर मरीज होंगे जिनके फेफड़ों में फाइब्रोसिस पाए गए हैं। वहीं दूसरे ग्रुप में ऐसे मरीज होंगे जिनमें फाइब्रोसिस नहीं बना या फेफड़ोें का टिशु को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। 

ऐसे चयनित होंगे मरीज 
एम्स के फिजियोलॉजी विभाग ने मरीजों के चयन के लिए मुफ्त में फेफड़ों की जांच का अभियान शुरू किया है। लोगों ने अपील की है कि 40 से 70 साल के जिस भी मरीज को कोरोना हुआ है वह कनवरजेन्स ब्लॉक की छठी मंजिल में आकर अपने फेफड़ों की जांच करवा सकता है। यहां विभाग की एडवांस लैब हैं जिसमें लंग्स पर विशेष रूप से काम किया जाता है। जांच के दौरान विभाग अध्ययन के आधार पर मरीजों का चयन करेगा। अध्ययन के लिए कोई भी व्यक्ति हिस्सा बन सकता है।