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कांग्रेस का एक तीर से दो निशाना, सिंहदेव को डिप्टी CM बनाने के बावजूद बघेल ही होंगे सीएम फेस

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 प्रदेश के राजनीतिक जानकार देवेश तिवारी कहते हैं कि कांग्रेस ने यह निर्णय राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर मतभेदों को दूर करने के लिए उठाया है। हालांकि उसे यह फैसला बहुत पहले लेना चाहिए था। ताकि पहले ही विरोध को थामा जा सकता था। चुनाव से ठीक पहले इस तरह का निर्णय पार्टी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है…

रायपुर – छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव से कुछ समय पहले बड़ा फैसला करते हुए कांग्रेस के कद्दावर मंत्री टीएस सिंहदेव  (त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव) को उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दे दी है। सिंहदेव छत्तीसगढ़ के पहले डिप्टी सीएम होंगे। प्रदेश में बाबा और सरगुजा किंग के नाम से मशहूर सिंहदेव का राज्य की राजनीति में काफी दबदबा माना जाता है। सीएम भूपेश बघेल ने उनकी नियुक्ति का स्वागत करते हुए ट्वीट किया, डिप्टी सीएम के रूप में जिम्मेदारी मिलने पर महाराज साहब को बधाई और शुभकामनाएं। हालांकि प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि सिंहदेव की सीएम बघेल के साथ जारी खींचतान को खत्म करने, प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी कलह रोकने और साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने यह कदम उठाया है। इधर, भाजपा ने कांग्रेस के इस फैसले पर तंज कसा है। पूर्व सीएम और भाजपा के वरिष्ठ नेता रमन सिंह ने ट्वीट किया, जब डूबने लगी कश्ती तो कप्तान ने कुछ किया, सौंप दी है पटवार आधे दूसरे के हाथ में महाराज जी को बचे हुए 4 महीनों के लिए बधाई।

कांग्रेस के एक तीर से दो निशाने, भूपेश की राह भी होगी आसान

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की एक वरिष्ठ सांसद का कहना है कि सिंहदेव को उपमुख्यमंत्री बनाए जाने के अपने अलग राजनीतिक मायने हैं। मुख्यमंत्री नहीं बनने के बाद सिंहदेव की नाराजगी गाहे-बगाहे जरूर आती रहती थी। लेकिन सरकार में अब सिंहदेव का घोषित रूप से नंबर दो का दर्जा हो जाएगा। वैसे भी उनको नंबर दो जैसा ही माना जाता रहा है। इसलिए चुनाव से पहले उनका सम्मान बढ़ाने का फैसला लिया गया है। इसमें सिंहदेव के स्वाभिमान का विशेष ध्यान रखा गया।

कांग्रेस सरकार में अंतर्विरोध खत्म करने और तालमेल बढ़ाने की दिशा में इसको महत्वपूर्ण कदम भी माना जाएगा। खुद सीएम बघेल ने सिंहदेव की ताजपोशी का स्वागत कर संदेश दिया है कि आगे तालमेल बेहतर होगा। सांसद आगे कहती हैं कि सिंहदेव के डिप्टी सीएम बनने का असर पूरे प्रदेश में नजर आएगा। अब तक सरगुजा संभाग के अलावा जहां-जहां भी सिंहदेव की नाराजगी की चर्चा होती रही है। वहां पर अब पार्टी में एकता नजर आएगी, न केवल नजर आएगी बल्कि संयुक्त रूप से सारे लोग एक मंच पर नजर आएंगे। विधानसभा चुनाव की दृष्टि से देखा जाए तो पार्टी की ताकत के बंटने की संभावना भी लगभग खत्म हो गई है। सिंहदेव को डिप्टी सीएम का पद देने के बाद सीएम बघेल के लिए अब रास्ते पूरी तरह से खुल गए हैं। विधानसभा चुनाव में अब पूरी पार्टी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में खड़ी होगी। इस निर्णय के साथ ही पार्टी हाईकमान ने भूपेश के नेतृत्व पर मुहर भी लगा दी है।

इसलिए कांग्रेस ने चुनाव से पहले देव को दिया ये बड़ा पद

दरअसल, टीएस सिंहदेव अंबिकापुर से विधायक हैं। प्रदेश में सीएम के बाद वही पार्टी का प्रमुख चेहरा हैं। छत्तीसगढ़ के उत्तरी हिस्से सरगुजा में उनकी मजबूत पकड़ है। इतना ही नहीं सरगुजा शाही परिवार के वंशज सिंहदेव की कांग्रेस हाईकमान से नजदीकियां भी हैं।  सिंहदेव का सबसे ज्यादा असर सरगुजा संभाग की 14 सीटों पर है। इस संभाग को छत्तीसगढ़ की सत्ता की चाभी भी कहा जाता है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने इन्हीं सीटों पर बड़े वोटों के अंतर से अपनी जीत दर्ज कराई थी। इसलिए सभी दलों की नजर सरगुजा संभाग पर रहती है।

अमर उजाला से चर्चा में प्रदेश के राजनीतिक जानकार देवेश तिवारी कहते हैं कि कांग्रेस ने यह निर्णय राज्य में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर मतभेदों को दूर करने के लिए उठाया है। हालांकि उसे यह फैसला बहुत पहले लेना चाहिए था। ताकि पहले ही विरोध को थामा जा सकता था। चुनाव से ठीक पहले इस तरह का निर्णय पार्टी पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। दरअसल 13 जून को सिंहदेव ने अंबिकापुर में कांग्रेस के संभागीय सम्मेलन में यह बयान दिया था कि दिल्ली में उन्होंने भाजपा के केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी। उन्हें भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया गया है। लेकिन वह भाजपा में नहीं शामिल होंगे। उनके इस बयान के बाद यह अटकलें लगने लगी थीं कि वह कांग्रेस छोड़ सकते हैं। अगर वह चुनाव से पहले पार्टी बदल लेते तो कांग्रेस को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ सकता था।

अमर उजाला से चर्चा में प्रदेश के कांग्रेस नेताओं का कहना है कि साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को राज्य की 90 विधानसभा सीटों में से 68 पर जीत मिली थी, जिसमें टीएस सिंहदेव की बड़ी भूमिका थी। इसलिए पार्टी राज्य में चुनाव से पहले राजस्थान वाली स्थिति नहीं चाहती थी, जिसके कारण यह फैसला लिया गया। ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले के तहत देव को सीएम बनना था लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हुआ। इसलिए वे काफी दिनों से पार्टी से नाखुश चल रहे थे।

जब नाराज होकर टीएस सिंहदेव ने छोड़ दिया था ये मंत्रालय

कद्दावर नेता टीएस सिंहदेव छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। ऐसा दावा किया जाता है कि सरकार गठन के वक्त ये तय हुआ था कि पहले ढाई साल बघेल और फिर ढाई साल सिंहदेव सीएम होंगे। लेकिन, ऐसा हुआ नहीं। इससे नाराज सिंह देव ने 16 अगस्त 2022 को पंचायत एवं ग्रामीण मंत्रालय छोड़ दिया था। उन्होंने सीएम बघेल को चार पन्नों का लंबा पत्र लिखकर मंत्रालय छोड़ा था। अपने पत्र में मंत्रालय छोड़ने का कारण उन्होंने इसका प्रदेश के आवासविहीन लोगों को आवास नहीं मिलना और जनघोषणा पत्र में किए गए वादों का पूरा नहीं होना बताया था। हालांकि, वे स्वास्थ्य और वाणिज्यिक मंत्री बने रहे। टीएस सिंहदेव कांग्रेस सरकार के आधार स्तंभों में से एक हैं। 17 दिसम्बर 2018 को उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ मंत्री पद की शपथ ली थी। मुख्यमंत्री ने तब केवल दो मंत्री सिंहदेव और ताम्रध्वज साहू के साथ कैबिनेट का गठन करके सरकार की औपचारिक शुरुआत की थी।

ढाई साल बाद सीएम बनने के लिए ठोंका था दावा

प्रदेश में ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले को लेकर टीएस सिंहदेव ने खुलकर बात की थी। तब उनका कहना था कि मुझे उम्मीद थी कि ढाई साल पूरा होने पर सीएम बनाया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उन्होंने कहा था कि अब तक जितने चुनाव हुए हैं। चाहे वो 2008 का रहा हो, 2013 या 2018 का, हर बार चुनाव में पूरे मन से खड़ा होता था। हमेशा मन में रहता था कि हां चुनाव लड़ना है, लेकिन इस बार सही में चुनाव लड़ने का उस तरह से मन नहीं है, जैसा कि पहले रहता था।

हाईकमान ने चुनाव को लेकर किया मंथन

छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस का चुनावी रोडमैप लगभग तैयार हो गया है। बुधवार को नई दिल्ली में हुई इस बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस के सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ बैठक कर चुनाव के लिए जरूरी दिशानिर्देश दिए। हाईकमान ने सामाजिक, भौगोलिक और राजनैतिक रुप में जिस नेता का जैसा प्रभाव है वो अपनी पूरी क्षमता के साथ वैसा योगदान देंगे।

छत्तीसगढ़ कांग्रेस की प्रभारी कुमारी सैलजा ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि जब सरकार होती है पार्टी कार्यकर्ताओं को सरकार से काफी उम्मीदें रहती हैं। लेकिन इन सबको भुलाकर सभी नेता एक साथ मिल जुलकर काम करेंगे और पार्टी को जिताकर मजबूती के साथ फिर से सरकार बनाएंगे। इस दौरान आगामी चार माह की रूपरेखा बताई। राज्य सरकार ने साढ़े चार साल में जो काम किए उसकी पूरी जानकारी दी। राहुल गांधी ने पिछले चुनाव में जनता को न्याय दिलाने की जो बात कही थी, उसे सरकार ने किस तरह से लागू किया है। इसके साथ लोगों के जीवन स्तर में सुधार के लिए जो काम किए गए हैं इसकी पूरी जानकारी दी। बैठक में प्रभारी महासचिव केसी वेणुगोपाल, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पीसीसी चीफ मोहन मरकाम, टीएस सिंहदेव, मोहम्मद अकबर, ताम्रध्वज साहू, शिव डहरिया और कवासी लखमा के अलावा तीनो प्रभारी सचिव भी मौजूद थे।au