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🤗 झंगलू :- भइया मंगलू , मनोज मुंतशिर हा बहुत ही विनम्रता से अपन आलोचना ला स्वीकार करत हे ** जनभावना ला आहत करने वाला डायलाग ला सुधारे के वादा करत हे
👱♂️ मंगलू :- आलोचना ला स्वीकार करना भी बहुत बड़े बात हे झंगलू । अपन गलती बर मनोज मुंतशिर बेशक आलोचना के पात्र हे लेकिन , ओखर ऊपर अइसे – अइसे आदमी मन कोहा – पथरा फेंकत हें जउन मन अपन जीवन में मनोज से जादा बड़े – बड़े अक्षम्य गलती करे हें * ओखर मन के पाप के मुकाबले में तो मनोज हा कुछ भी नइ करे हे । आश्चर्यजनक बात तो ये हे कि सूप के साथ – साथ चलनी मन भी बोलत हें * चोरी के सजा डकैत मन देवत हें हें , छेड़छाड़ के घटना ऊपर बलात्कारी मन शर्मिंदगी महसूस करत हें
विजय मिश्रा
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