श्रीमंदिर के बाहर भक्तों-श्रद्धालुओं के नयनाभिराम के लिए भगवान का भक्तो-श्रधालुओं के पास आना, यह भगवान जगन्नाथ से आध्यात्मिक मिलन ही नेत्रोत्सव कहलाता है।
जगदलपुर – छत्तीसगढ़ के जगदलपुर में गोंचा महापर्व पर सोमवार को नेत्रोत्सव पूजा विधान संपन्न कराया जाएगा। भगवान जगन्नाथ स्वामी का अनसर काल में पांच से 18 जून तक दर्शन वर्जित था। अब इस विधान के बाद भक्तों का भगवान से आध्यात्मिक मिलन होगा। इस दौरान श्रीश्री जगन्नाथ मंदिर में मुक्तिमण्डप में स्थापित भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र स्वामी के विग्रहों को श्रीमंदिर के गर्भगृह के सामने भक्तों के दर्शनार्थ स्थापित किया जाएगा। गोंचा महापर्व 4 जून से देवस्नान पूर्णिमा (चंदन जात्रा) के साथ शुरू हुआ है।
360 घर आरण्यक ब्राह्मण समाज के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि चंदन जात्रा पूजा विधान के बाद जगन्नाथ स्वामी के अस्वस्थता कालावधि अर्थात अनसर काल के दौरान भगवान जगन्नाथ के दर्शन वर्जित थे। अब पर्व का वह क्षण है, जब भगवान जगन्नाथ के नेत्रोत्सव पूजा विधान होगा। श्रीमंदिर के बाहर भक्तो-श्रद्धालुओं के लिए भगवान जगन्नाथ विराजमान होंगे। भगवान जगन्नाथ जगत के पालनकर्ता हैं। जिनकी नजरों से भक्त-श्रद्धालु कभी भी वंचित नहीं हो सकते हैं, लेकिन भगवान की लीला से अनसर काल के दौरान 15 दिनों तक उनके दर्शन से वर्जित हो गए।
इतने दिनों तक भगवान के दर्शन से वर्जित होने से भगवान जगन्नाथ के सुदर्शन चक्र के रक्षा सूत्र से विलग होने जैसी व्याकुलता है। इसे दूर करने के लिए श्रीमंदिर के बाहर भक्तों-श्रद्धालुओं के नयनाभिराम के लिए भगवान का भक्तो-श्रधालुओं के पास आना, यह भगवान जगन्नाथ से आध्यात्मिक मिलन ही नेत्रोत्सव कहलाता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि भगवान जगन्नाथ के श्रीमंदिर के बाहर भक्तो-श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए उपलब्धता, भगवान के भक्तो-श्रद्धालुओं से मिलन का यह अवसर या क्षण निकटतम दर्शन का पुण्य लाभ ही नेत्रोत्सव है।