कर्नाटक – सरकार ने स्कूल की पाठ्यपुस्तक में बदलाव की योजना बनाई है। सरकार आरएसएस संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार से जुड़ा पाठ हटाने पर विचार कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह निर्णय बेंगलुरु में शैक्षिक सुधारों पर एक बैठक में लिया गया था। इस बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और स्कूल शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने भाग लिया था।
कर्नाटक में अब किताब पर राजनीति शुरू हो गई है। राज्य के मंत्री दिनेश गुंडुराव ने कहा है कि सिद्धारमैया सरकार पिछली भाजपा सरकार द्वारा शुरू की गई पाठ्यपुस्तकों से कुछ पाठों को हटाएगी। इसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार से जुड़ी सामग्री भी शामिल है। राज्य में सरकार बनाने के बाद कांग्रेस के कई नेताओं ने किताबों में बदलाव के संकेत देने शुरू कर दिए थे। अब इसकी घोषणा ने सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच विवाद का एक विषय बना दिया है। ऐसे में जानना जरूरी है कि कर्नाटक में किताबों को लेकर क्या हो रहा है? किताबों से क्यों हटाया जा रहा हेडगेवार का पाठ? क्या पहले भी उनसे जुड़े विवाद थे? सरकार का क्या कहना है? इस पर भाजपा ने क्या प्रतिक्रिया दी? आइए समझते हैं…
पहले जानते हैं कौन थे हेडगेवार?
संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर स्थित एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। 13 साल की उम्र में प्लेग संक्रमण की वजह से केशव ने अपने माता-पिता को खो दिया। पुणे में स्थित हाईस्कूल में उन्होंने शुरुआती पढ़ाई की। 1915 में वो डॉक्टर के रूप में नागपुर लौटे।
संघ के अनुसार, डॉक्टर बनने के पीछे केशव का उद्देश्य कभी भी शासकीय सेवा में प्रवेश लेना या अपना अस्पताल खोलकर पैसा कमाना नहीं था। उनका तो एकमात्र ध्येय, भारत का स्वातंत्र्य ही था। अपने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वे लोकमान्य तिलक से प्रेरणा लेकर वर्ष 1916 में कांग्रेस के जन-आंदोलन से जुड़ गए। डॉ. हेडगेवार ने 1920 में नागपुर में हुए कांग्रेस के अधिवेशन का पूरा जिम्मा संभाला था। 1925 में विजयदशमी के दिन ही हेडगेवार ने संघ की स्थापना की। 21 जून, 1940 को बीमारी के चलते डॉ. हेडगेवार का निधन हो गया।
कर्नाटक में किताबों को लेकर क्या हो रहा है?
कर्नाटक सरकार ने स्कूल की पाठ्यपुस्तक में बदलाव की योजना बनाई है। सरकार आरएसएस संस्थापक से जुड़ा पाठ हटाने पर विचार कर रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह निर्णय बेंगलुरु में शैक्षिक सुधारों पर एक बैठक में लिया गया था। इस बैठक में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और स्कूल शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने भाग लिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कक्षा 10 की कन्नड़ पाठ्यपुस्तक में हेडगेवार पर एक अध्याय इस शैक्षणिक वर्ष से हटा दिया जाएगा। यह अध्याय पिछली भाजपा सरकार द्वारा राज्य के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया था।
किताबों से क्यों हटाया जा रहा हेडगेवार का पाठ?
यह निर्णय कर्नाटक में शिक्षा जगत से जुड़े लोगों की एक अपील के हफ्तों बाद आया है। दरअसल, पिछले दिनों शिक्षकों और स्कूल संघों ने नवगठित सरकार से पिछली भाजपा सरकार द्वारा राज्य पाठ्यक्रम की पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलावों को उलटने की मांग की थी।
बेंगलुरु में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया में शिक्षा के सार्वभौमीकरण की प्रमुख प्रोफेसर वीपी निरंजन आराध्या के साथ मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की एक बैठक हुई। इस दौरान एक प्रस्ताव लाया गया कि नई मुद्रित पाठ्यपुस्तकों में परिवर्तित अध्यायों को शिक्षण और मूल्यांकन से बाहर रखा जा सकता है। बता दें कि राज्य में शैक्षिक सत्र 2023-24 के लिए छात्रों को पुस्तकें पहले ही वितरित की जा चुकी हैं
सरकार का क्या कहना है?
मंगलवार को कर्नाटक के नए प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा मंत्री मधु बंगारप्पा ने संकेत दिए थे कि आने वाले दिनों में स्कूली पाठ्यपुस्तकों में संशोधन किया जा सकता है। उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा था कि भाजपा सरकार के दौरान पाठ्यपुस्तकों में बदलाव किए गए थे। कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में पाठ्यपुस्तकों में किए गए बदलावों को रद्द करने का वादा किया था। पार्टी ने एनईपी को खत्म करने का भी वादा किया था। बंगारप्पा ने कहा था कि हम नहीं चाहते कि छात्रों का दिमाग प्रदूषित हो। एक जून से स्कूल शुरू होने के लिए पाठ्यपुस्तकों को कुछ हद तक भेज दिया गया है। अब हमारे सामने चुनौती यह है कि हम छात्रों और उनकी पढ़ाई को प्रभावित किए बिना इसे कैसे करेंगे। हम विभाग में चीजों को आगे बढ़ाने के लिए एक टीम भी बनाएंगे। इससे पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सोमवार को कहा था कि ग्रंथों और पाठों के जरिए बच्चों के दिमाग को प्रदूषित करने के कृत्य को माफ नहीं किया जा सकता है।
भाजपा ने क्या कहा?
भाजपा ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए माफी की मांग की है। पार्टी ने कहा कि कांग्रेस इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रही है। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने फैसले को भारतीय इतिहास की सेंसरिंग करार दिया है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक में स्कूल की पाठ्यपुस्तकों से हेडगेवार के पाठों को हटाना युवाओं के खिलाफ जुर्म होगा।
वहीं, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने इस कदम को ‘असहिष्णुता’ करार दिया है। रवि ने कहा कि कांग्रेस को वैचारिक रूप से विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें हेडगेवार की देशभक्ति पर सवाल उठाने का नैतिक अधिकार नहीं है। मार्क्स और माओ तो इस देश से नहीं हैं और लोकतंत्र के खिलाफ भी हैं, फिर भी पाठ्यपुस्तक में हो सकते हैं, लेकिन हेडगेवार जैसे देशभक्तों पर पाठ नहीं हो सकते। यह असहिष्णुता है, देखते हैं कि वे क्या करते हैं और हमारी पार्टी तय करेगी कि क्या करना है।
इससे जुड़ा पहले भी विवाद हुआ है?
पिछली सरकार के दौरान पाठ्यपुस्तक को लेकर विवाद हुआ था, तब विपक्षी कांग्रेस और कुछ लेखकों ने तत्कालीन पाठ्यपुस्तक समीक्षा समिति के प्रमुख रोहित चक्रतीर्थ को बर्खास्त करने की मांग की थी। चक्रतीर्थ पर आरोप लगाया गया था कि आरएसएस के संस्थापक केशव बलिराम हेडगेवार के भाषण को एक अध्याय के रूप में शामिल करके वह स्कूली पाठ्यपुस्तकों का भगवाकरण कर रहे थे और स्वतंत्रता सेनानियों, समाज सुधारकों जैसी प्रमुख हस्तियों पर अध्यायों को हटा रहे थे। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशंस, ऑल इंडिया सेव एजुकेशन कमेटी समेत कुछ संगठनों ने भाजपा सरकार के इस कदम पर आपत्ति जताई थी।