शवों की पहचान करने आ रहे पीड़ित परविरों के लिए भी ओडिशा सरकार ने कई इंतजाम किए है. उनके लिए कंट्रोल रूम बनाए गए हैं और उनके खाने-पीने की व्यवस्था भी की गई है.
भुनेश्वर – ओडिशा के बालासोर ट्रेन हादसे को एक हफ्ता बीत चुका है लेकिन अभी भी लोगों के जहन में इस हादसे की याद ताजा है. इस रूह कंपाने वाली दुर्घटना में 288 लोगों की मौत हो गई जबकि की कई गंभीर रूप से घायल हो गए. इस बीच कई लोग ऐसे हैं जो अब भी इस दुर्घटना का शिकार हुए अपनों की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं. हाथ में तस्वीर, आंखों में उम्मीद लिए हर अस्पताल के चक्कर काट कर रहे हैं लेकिन हाथ सिर्फ निराशा ही लगी है.
जानकारी के मुताबिक 82 लोगों के शवों की अभी तक पहचान नहीं हो सकी है. काफी कोशिशों के बाद भी इन शवों को उनके परिवारों तक नहीं पहुंचाया जा सका है. ऐसे में अब ओडिशा सरकार ने इन शवों की शिनाख्त के लिए पड़ोसी राज्यों पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड जैसे राज्यों से मदद मांगी है. इन शवों की जल्द से जल्द पहचान कर इनका अंतिम संस्कार कराने के लिए पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से मदद की अपील की गई है.
पीड़ित परिवारों के लिए कंट्रोल रूम, खाने पीने की व्यवस्था
भुवनेश्वर नगर निगम (बीएमसी) के कमिश्नर विजय अमृता कुलंगे ने बताया कि वह शवों की पहचान प्रक्रिया को तेज करने के लिए राज्य सरकार के अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि पीड़ित परिवारों की मदद के लिए एक कंट्रोल रूम बनाया गया है. वहीं शव लेने के लिए आने वाले लोगों को खाने और रहने की सुविधा भी दी जा रही है.
शवों की पहचान के लिए डीएनए टेस्ट
भुवनेश्वर के एम्स अस्पताल ने बताया कि रेल हादसे का शिकार हुए 162 शव रखे हु थे. इनमें से 80 शव उनके परिवारों को दिए जा चुके हैं जबकि 82 शवों की पहचान नहीं हो सकी है. शवों की पहचान करने में समस्या इसलिए हो रही है क्योंकि कई शवों के चेहरे बिगड़ हुए हैं जिसके चलते उनको पहचानना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में कई परिवार एक ही शव पर दावा कर रहे हैं ऐसे में शवों की सही पहचान के लिए डीएनए टेस्ट की मदद ली जा रही है. अब तक 50 से ज्यादा डीएनए सैंपल लिए जा चुके हैं. पहले बैच में 29 लोगों के सैंपल दिल्ली के एम्स भेजे गए थे. इसके नतीजे दो दिनों में आएंगे.